जेलों में कुछ अविस्मरणीय रचनाएं जन्मती हैं। आरोपित एकाकीपन कई बार सृजनशीलता के लिए सकारात्मक ‘ कैटेलिसिस’ (उत्प्रेरक) का काम करता है। सीमा आज़ाद और विश्वविजय जैसे उदीयमान रचनाकारों के सन्दर्भ में यही हुआ है। उनकी जेल डायरियों में उत्पीड़न के उदघाटन से अधिक जेल में प्रवहमान मानवीय संवेदनाओं का वर्णन- विश्लेषण है- जेल पर ‘जीवन’ भारी पड़ा है।
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My Naxal Days And After : A Re-telling of Memories
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