जेलों में कुछ अविस्मरणीय रचनाएं जन्मती हैं। आरोपित एकाकीपन कई बार सृजनशीलता के लिए सकारात्मक ‘ कैटेलिसिस’ (उत्प्रेरक) का काम करता है। सीमा आज़ाद और विश्वविजय जैसे उदीयमान रचनाकारों के सन्दर्भ में यही हुआ है। उनकी जेल डायरियों में उत्पीड़न के उदघाटन से अधिक जेल में प्रवहमान मानवीय संवेदनाओं का वर्णन- विश्लेषण है- जेल पर ‘जीवन’ भारी पड़ा है।
Zindanama – Ummeed ek zinda shabd hai
लाल बहादुर वर्मा, प्रसिद्ध इतिहासकार
डायरी के मुख्य शीर्षक
पितृसत्ता महिला और जेल जीवन
जेल में जाति धर्म का अनुपात
अन्धविश्वास का गढ़ है जेल
अदालत और लॉकअप
मुलाकात में एलआईयू, दाल- भात में मूसलचन्द
कलमाडी का डिमेंशिया और हमारी यादाश्त
जेल के बच्चे
जेल के सपने
जेल में इश्क मोहब्बत
जेल में त्योहार
जेल का इलाज
शेरां वाली
चावल में ढोला, सब्जी में बिच्छू
जेल की विक्षिप्त औरतें और उनका इलाज
अपराध का मनो सामाजिक विश्लेषण
विश्वविजय
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में सक्रिय छात्र संगठन ‘ इंकलाबी छात्र मोर्चा के भूतपूर्व अध्यक्ष। फिलहाल छात्र आन्दोलन से जुड़ाव, राजनैतिक बन्दियों की रिहाई के लिए सक्रिय।
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